भारत विश्व की सबसे पुरानी सम्यताओं में से एक है जिसमें निहित बहुरंगी विविधता और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत है। आज़ादी पाने के बाद पिछले 59 वर्षों में भारत ने बहु-आयामी सामाजिक आर्थिक प्रगति की है। भारत कृषि–उत्पादन में आत्मनिर्भर बन चुका है और अब विश्व के औद्योगीकृत देशों की श्रेणी में इसका स्थान दसवां है तथा लोगों के लाभ के लिए प्रकृति पर विजय पाने के लिए अंतरिक्ष में जाने वाला छठा राष्ट्र है। भारत का क्षेत्रफल 32,87,263 वर्ग कि.मी. है जो हिम-आच्छादित हिमालय की ऊंचाइयों से शुरू होकर दक्षिण के विषुवतीय वर्षा वनों तक फैला हुआ है। विश्व में सातवां बड़ा देश होने के नाते भारत शेष एशिया से अलग दिखता है जिसका विशेषता पर्वत और समुद्र ने तय की है और ये इसे विशिष्ट भौगोलिक पहचान देते हैं। उत्तर में बृहत पर्वत श्रृंखला हिमालय से घिरा हुआ, यह दक्षिण तक फैला है और कर्क रेखा से आगे संकरा होता हुआ पूर्व में बंगाल की खाड़ी तथा पश्चिम में अरब सागर के बीच हिन्द महासागर से जुड़ जाता है।
पूरी तरह उत्तरी गोलार्ध में स्थित, भारत की मुख्यभूमि 804 और 3706 उत्तरी अक्षांश, 6807 और 97025 पूर्वी देशान्तर रेखाओं के बीच स्थित है तथा अंतिम अक्षांश रेखाओं के बीच उत्तर से दक्षिण तक लगभग 3214 कि।मी. और अंतिम देशांतर रेखाओं के बीच पूर्व से पश्चिम तग लगभग 2933 कि.मी. फैला हुआ है। इस ज़मीनी सीमान्त लगभग 15,200 कि.मी. है। मुख्यभूमि, लक्षद्वीप और अण्डमान तथा निकोबार द्वीपसमूह की तटरेखा की कुल लम्बाई 7,516.6 कि.मी है।
भारत की सभ्यता विश्व की सबसे पुरानी सभ्यताओं में एक है, यह 4000 से अधिक वर्षों तक चलती आ रही है और इसने अनेकानेक साम्राज्यों का उत्थान एवं पतन देखा है और विभिन्न संस्कृतियों और धरोहरों को अपने आप में समाहित किया है। इस देश को हमेशा आध्यात्मिक सम्पूर्णता की भूमि के रूप चित्रित किया गया है, यहां दर्शनशास्त्र के प्रोफेसर, जिन्होंने इसकी राष्ट्रीय की उदारता को प्रखर किया है। विश्व का सबसे पुराना धर्म शास्त्र चार खण्डों का वेद है इसे बहुत से लोग राष्ट्रीय विचारों का आधार मानते हैं, जिसमें कुछ आधुनिक वैज्ञानिक खोजों को पहले ही दर्शाया गया हैं, इस पौराणिक कथा उन्मुखी देश के प्रभाव क्षेत्र में रचा गया है। इस धर्म और पौराणिक कथाओं की दृढ़ अस्मिता विभिन्न कला रूपों और क्रियात्मक कलाओं में बार बार प्रदर्शित की गई हैं जो भारत की मिश्रित संस्कृति के संकेत हैं। विविधता में एकता देश की धरोहर राष्ट्रीयता में एक अन्य पहलू है जो भारत में आने वाले विदेशी आक्रमणों द्वारा कही गई राष्ट्रीय भावना से सराबोर हुआ था। धार्मिक सहिष्णुता और संस्कृति का सम्मामेलन ने विशिष्ट धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र का रूप दिया है, जिसने वैश्विक परिदृश्य में अपनी धाक जमाई है।
3 comments:
kuchh karo bhai.narayan narayan
बहुत सही…………
चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है.......भविष्य के लिये ढेर सारी शुभकामनायें.
गुलमोहर का फूल
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