Saturday, June 19, 2010
ब्राण्डेड व जैनरिक में अन्तर
किसी भी दवा के जीवन काल में चार अवस्थायें होती है:- 1. शोध 2. विकास 3. पेटेंट फेज 4. जैनरिक फेज
किसी भी नई, दवा का निर्माण शोध कार्यशाला में किया जाता है। इसके बाद उस दवा के निर्माण के अधिकारों को सुरक्षित रखने के लिए पेटेन्ट प्रार्थना-पत्र दिया जाता है। जब कोई कम्पनी उस दवा का प्रयोग शुरू करती है तो विकास की अवधि प्रारम्भ हो जाती है। पेटेंट फेज में कम्पनी उसको कम से कम एक देश में विक्रय करना प्रारम्भ कर देती है। इस प्रक्रिया में चिकित्सक, मरीज, अस्पताल व बीमा कम्पनियां शामिल हो जाती है। पेटेन्ट की अवधि समाप्त होने पर जैनरिक कम्पनियां दवा को कम मूल्य पर बेचना प्रारम्भ कर देती हैं।
पेटेंट के बगैर दवाओं का शोध और विकास कम हो जायेंगे तथा जैनरिक के बिना आम आदमी की दवा तक पंहुच में कमी आयेगी। इस प्रकार दोनों चीजों में यानी कि नई दवाओं के शोध व विकास तथा जो दवायें पहले से बाजार में उपलब्ध है, आम व्यक्ति की पंहुच में रहे, में सामन्जस्य बिठाकर चलना होगा। प्रत्येक शोध नई दवा के विकास के उद्वेश्य से व लाखों लोगों के स्वास्थ्य में सुधार की दृष्टि से होना चाहिये न कि उनकी जेब से पैसे निकलवाने के लिए। यह बात सामने आ चुकी है कि शोध पर किसी कम्पनी के कुल टर्न ओवर का मात्र 2 से 20 प्रतिशत ही खर्च किया जाता है जबकि शोध के नाम पर बहुत बड़ी धनराशि दवा की कीमत में शामिल कर ली जाती है। ऐसा नहीं होना चाहिए। पेटेन्ट समाप्त होने के बाद जैनरिक दवा उत्पादन मूल्य में थोड़ा मुनाफा जोड़कर मरीज को उपलब्ध होनी चाहिये।
ऐसा भी देखने में आया है कि शोध के नाम पर पुरानी उपलब्ध दवा में साधारण सा बदलाव कर पेटेन्ट प्राप्त कर लिया जाता है तथा चिकित्सकों को प्रभावित कर यह नई दवा लिखवाकर दवा कम्पनियां भारी मुनाफा कमा लेती हैं।
उदाहरण के लिए यदि चिकित्सक ने ब्लड कैंसर के किसी मरीज के लिए ‘ग्लाईकेव‘ ब्राण्ड की दवा लिखी है तो महीने भर के कोर्स की कीमत 1,14,400 रूपये होगी, जबकि उसी दवा के दूसरे ब्राण्ड ‘वीनेट‘ की महीने भर के कोर्स की कीमत अपेक्षाकृत काफी कम 11,400 रूपये होगी। सिप्ला इस दवा के समकक्ष जैनरिक दवा ‘इमीटिब‘ 8,000 रूपये में और ग्लेनमार्क 5,720 रूपये में मुहैया करवाती है।
Thursday, May 6, 2010
शादियों की धूम
जायल तहसील के गाँव
Aheerpura ,Ajabpura , Akora , Ambali , Anwaliyasar , Arsinga , Arwar , Bagrasar , Balaji Nagar , Barnel , Barsoona , Batwari , Berasar , Bhawla , Bhiniyad , Bhiniyad Chak-1(A) , Bodind Kalan , Bodind Khurd , Borwa , Boseri , Bugarda , Burdi , Chawad , Chawali , Chhajoli , Chhapra , Chhawata Kalan , Chhawata Khurd , Danta , Deediya Kalan , Deediya Khurd , Deh , Dehroli , Dhanani , Dharna , Dhatiyad , Dheejpura , Dhehari , Dodoo , Dotina , Dugastau , Dugoli , Ewad
Firozpura , Gadriya , Geloli , Gorau , Gotardi , Goth , Gugriyali , Gujariyawas , Gumanpura
Gurharohili , Hirasani , Igyar , Jakhan , Jalniyasar , Janewa (East) , Janewa (West) , Janwas
Jayal , Jhalalar , Jhareli , Jhunjhala , Jocheena , Jyani , Kachras , Kalvi , Kamediya , Kangsiya
Kasari , Kashipura , Kasnau , Kathoti , Khabariyana , Khanpura Manjra , Khanwar , Kharamanjra , Khari Jodha , Khatoo Kalan , Khera Narnoliya , Kheraheerawas , Kherat , Kherwar , Khinyala , Khinyawas , Kishanpura , Kunwar Khera , Kusiya , Lunsara , Manglod
Matasukh , Meetha Manjra , Merwas , Moti Nagar , Mundi , Mundiyau , Naradhana , Neem Nagar , Nimbora , Nokha Jodha , Nooriyas , Nosariya , Pannapura , Pateli , Peendiya , Phardod
Piriyara , Rajod , Rampura-A , Rampura-B , Ramsar , Ratanga , Rohina , Rol , Rooniya , Roopathal , Rotoo , Sandeela , Sedau , Shivnagar , Silariya , Somra , Soneli , Surpaliya
Suwadiya , Talniyau , Tangla , Tangli , Tanwara , Tarnau , Tatarwa , Tatarwi , Tejasar
Ubasi , Unchaira
Wednesday, January 13, 2010
पंचायतीराज चुनाव में करेंगे अच्छा प्रदर्शन : चौधरी
Saturday, September 5, 2009
भारत के बारे में ....
पूरी तरह उत्तरी गोलार्ध में स्थित, भारत की मुख्यभूमि 804 और 3706 उत्तरी अक्षांश, 6807 और 97025 पूर्वी देशान्तर रेखाओं के बीच स्थित है तथा अंतिम अक्षांश रेखाओं के बीच उत्तर से दक्षिण तक लगभग 3214 कि।मी. और अंतिम देशांतर रेखाओं के बीच पूर्व से पश्चिम तग लगभग 2933 कि.मी. फैला हुआ है। इस ज़मीनी सीमान्त लगभग 15,200 कि.मी. है। मुख्यभूमि, लक्षद्वीप और अण्डमान तथा निकोबार द्वीपसमूह की तटरेखा की कुल लम्बाई 7,516.6 कि.मी है।
भारत की सभ्यता विश्व की सबसे पुरानी सभ्यताओं में एक है, यह 4000 से अधिक वर्षों तक चलती आ रही है और इसने अनेकानेक साम्राज्यों का उत्थान एवं पतन देखा है और विभिन्न संस्कृतियों और धरोहरों को अपने आप में समाहित किया है। इस देश को हमेशा आध्यात्मिक सम्पूर्णता की भूमि के रूप चित्रित किया गया है, यहां दर्शनशास्त्र के प्रोफेसर, जिन्होंने इसकी राष्ट्रीय की उदारता को प्रखर किया है। विश्व का सबसे पुराना धर्म शास्त्र चार खण्डों का वेद है इसे बहुत से लोग राष्ट्रीय विचारों का आधार मानते हैं, जिसमें कुछ आधुनिक वैज्ञानिक खोजों को पहले ही दर्शाया गया हैं, इस पौराणिक कथा उन्मुखी देश के प्रभाव क्षेत्र में रचा गया है। इस धर्म और पौराणिक कथाओं की दृढ़ अस्मिता विभिन्न कला रूपों और क्रियात्मक कलाओं में बार बार प्रदर्शित की गई हैं जो भारत की मिश्रित संस्कृति के संकेत हैं। विविधता में एकता देश की धरोहर राष्ट्रीयता में एक अन्य पहलू है जो भारत में आने वाले विदेशी आक्रमणों द्वारा कही गई राष्ट्रीय भावना से सराबोर हुआ था। धार्मिक सहिष्णुता और संस्कृति का सम्मामेलन ने विशिष्ट धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र का रूप दिया है, जिसने वैश्विक परिदृश्य में अपनी धाक जमाई है।
नागौर में भरने वाले मेले
हरिराम बाबा का मेला Jhorda भादवा शुक्ला चतुर्थी -पंचमी
Hanumanji का मेला श्रीबालाजी चैत्र Shukla पूर्णिमा , अश्विन शुक्ला पूर्णिमा
मीराबाई चारभुजा मेला Merta सिटी बैशाख शुक्ला Ekadasi-पूर्णिमा
Parsawanathji का मेला Merta रोड भद्र शुक्ला दशमी
Sufi तर्कीन सालाना उर्स नागौर ज़मादी -उल -अव्वल
माताजी का मेला Goth Maglod आश्विन & चैत्र नवरात्र
माताजी का मेला भंवाल Ashwin & Chaitra Navratra
गुस्साजी ka मेला Junjala Ashwin Shukla
झुलोत्सावा मोलासर Shrawan Shukla Ekadasi-Purnima
झुलोत्सावा Jaswantgarh Shrawan Shukla Ekadasi-Purnima
शिवरात्रि मेला नागौर फाल्गुन कृष्ण त्रयोदशी
नरसिंह चतुर्दर्शी मेला नागौर Vaishakh Sukla Chaturdashi
वराह अवतार महोत्सव नागौर Vaishakh Sukla Purnima
Krishna Janamotsava मेला नागौर Bhadra Krishna Ashthami
Pitra Shrad मेला Chenar, नागौर Bhadwa Krishna Amawasya
Urs मेला रोल Muslim date
Didwana मेला Didwana Maghsheersh कृष्ण